hindi poems

 है समय नदी की बाढ़............
है समय नदी की बाढ़ कि जिसमें सब बह जाया करते हैं।
है समय बड़ा तूफ़ान प्रबल पर्वत झुक जाया करते हैं ।।
अक्सर दुनियाँ के लोग समय में चक्कर खाया करते हैं।
लेकिन कुछ ऐसे होते हैं, इतिहास बनाया करते हैं ।।


यह उसी वीर इतिहास-पुरुष की अनुपम अमर कहानी है।
जो रक्त कणों से लिखी गई,जिसकी जयहिन्द निशानी है।।
प्यारा सुभाष, नेता सुभाष, भारत भू का उजियारा था ।
पैदा होते ही गणिकों ने जिसका भविष्य लिख डाला था।।


यह वीर चक्रवर्ती होगा , या त्यागी होगा सन्यासी।
जिसके गौरव को याद रखेंगे, युग-युग तक भारतवासी।।
सो वही वीर नौकरशाही ने,पकड़ जेल में डाला था ।
पर क्रुद्ध केहरी कभी नहीं फंदे में टिकने वाला था।।


बाँधे जाते इंसान,कभी तूफ़ान न बाँधे जाते हैं।
काया ज़रूर बाँधी जाती,बाँधे न इरादे जाते हैं।।
वह दृढ़-प्रतिज्ञ सेनानी था,जो मौका पाकर निकल गया।
वह पारा था अंग्रेज़ों की मुट्ठी में आकर फिसल गया।।


जिस तरह धूर्त दुर्योधन से,बचकर यदुनन्दन आए थे।
जिस तरह शिवाजी ने मुग़लों के,पहरेदार छकाए थे ।।
बस उसी तरह यह तोड़ पींजरा , तोते-सा बेदाग़ गया।
जनवरी माह सन् इकतालिस,मच गया शोर वह भाग गया।।


वे कहाँ गए, वे कहाँ रहे,ये धूमिल अभी कहानी है।
हमने तो उसकी नयी कथा,आज़ाद फ़ौज से जानी है।। 
" Chidiya "
चिड़िया

Chidiya


" Diwali "

Diwali- Hindi Nursery Rhymes 
पानी 
पानी तो अनमोल है Save water, save life
उसको बचा के रखिये
बर्बाद मत कीजिये इसे
जीने का सलीका सीखिए
पानी को तरसते हैं
धरती पे काफी लोग यहाँ
पानी ही तो दौलत है
पानी सा धन भला कहां
पानी की है मात्रा सीमित
पीने का पानी और सीमित
तो पानी को बचाइए
इसी में है समृधी निहित
शेविंग या कार की धुलाई
या जब करते हो स्नान
पानी की जरूर बचत करें
पानी से है धरती महान
जल ही तो जीवन है
पानी है गुनों की खान
पानी ही तो सब कुछ है
पानी है धरती की शान
पर्यावरण को न बचाया गया
तो वो दिन जल्दी ही आएगा
जब धरती पे हर इंसान
बस ‘पानी पानी’ चिल्लाएगा
रुपये पैसे धन दौलत
कुछ भी काम न आएगा
यदि इंसान इसी तरह
धरती को नोच के खाएगा
आने वाली पुश्तों का
कुछ तो हम करें ख़्याल
पानी के बगैर भविष्य
भला कैसे होगा खुशहाल
बच्चे, बूढे और जवान
पानी बचाएँ बने महान
अब तो जाग जाओ इंसान
पानी में बसते हैं प्राण :) 

ककड़ी-खीरा

गर्मी में जब प्यास लगे
पानी की जब आस लगे
सब्जी की दूकान में जाओ
ककड़ी-खीरा खरीद के लाओ|
ककड़ी-खीरा खूब चबाओ
खा के इनको प्यास बुझाओ|
खूब विटामिन, उर्जा पाओ
‘गर्मी की ठंडक’ ले आओ|
ककड़ी होती लंबी, पीली
खीरा हरा व् मोटा होता|
खा के इनको प्यास यूं बुझती—
मानो पानी पिया हो एक लोटा|
गर्मी में जब सूरज आये
ककड़ी-खीरा साथ लाये|
खा के इनको स्वस्थ रहो
सलाद में डाल के मस्त रहो|
रोज सवेरे जब दूकान में जाओ
ककड़ी-खीरा जरूर ही लाओ|
धो, काट के हल्का नमक लगाओ
अब मजे-मजे से चबा के खाओ|
चावल-दाल है रोज ही खाना
रोटी भी है रोज पकाना
पर सलाद भी बहुत जरूरी है—
देखो, ककड़ी-खीरा भूल न जाना! :)